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भोजपुरी गीतों को फिर से परिभाषित कर रही है दीपाली सहाय

बिहार और भोजपुरी गीत एक ऐसे दौर से गुजर रहे है जहा इनको जिन भावनाओं से देखा जा रहा है उस पर किसी भी बिहार को गर्व नहीं होगा। बियाह हो, तेव्हार हो, छठिहार हो या कई जगहों पर हमलोगो ने अपने घर के लोगो से भोजपुरी गीत सुना था। ये गीत इतने खूबसूरत थे जिसका कोई जबाब नहीं है, हम सोहर, निर्गुण, बियाह का गीत, चैती सब सुने है और सुनते है मगर ये पिछले दो दसक से जिस तरीके से भोजपुरी गीतों का प्रचार प्रसार हुआ है वो ये बिलकुल नहीं है।

एक दिन ऐसे ही instagram या youtube पर आप और हम ने कभी न कभी एक मीठी आवाज़ में मधुर भोजपुरी गीत एक सुन्दर से लड़की के मुँह से जरूर सुना होगा। वही है दीपाली सहाय।

दीपाली सहाय के करियर और भोजपुरी संगीत में उनके योगदान:

करियर की शुरुआत और प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • दीपाली सहाय ने 2007 में ‘इंडियन आइडल’ सीज़न 3 में भाग लिया और टॉप 7 फाइनलिस्ट में से एक रहीं।
  • गायन के अलावा, उन्होंने 2008 में ‘इंडियन आइडल’ की होस्टिंग भी की, जिससे उनकी एंकरिंग प्रतिभा भी सामने आई।
  • उन्होंने फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (FTII) से निर्देशन की पढ़ाई भी की है। वह एक गायिका, अभिनेत्री, एंकर और निर्देशक हैं।

भोजपुरी संगीत में योगदान:

  • इंडियन आइडल के बाद, दीपाली ने भोजपुरी सीरियल ‘ब की मलकाइन’ में मुख्य भूमिका निभाई। इसी सीरियल से भोजपुरी भाषा में उनकी रुचि बढ़ी।
  • उन्होंने ‘भोजपुरी क्लासिक्स विद दीपाली सहाय‘ जैसी पहल की शुरुआत की है, जिसके माध्यम से वह पुराने और पारंपरिक भोजपुरी गीतों को नए दर्शकों तक पहुंचा रही हैं।
  • वह भिखारी ठाकुर जैसे दिग्गज कलाकारों के गीतों को भी लोगों तक ला रही हैं। उनका मकसद भोजपुरी संगीत के उस पक्ष को दिखाना है जो अक्सर सामने नहीं आता।

Deepali-Sahay-1 भोजपुरी गीतों को फिर से परिभाषित कर रही है दीपाली सहाय

एक इंटरव्यू में दीपाली ने खुद ये कहा:

भोजपुरी में जो भी करूंगी, वह साफ-सुथरा ही होगा, यह मेरा वादा है।

महाशिवरात्रि के मंच पर भोजपुरी गाने के बाद मुझे महसूस हुआ कि हमारे भोजपुरी गीतों की संस्कृति बहुत समृद्ध है, लेकिन लोगों को इसकी सही जानकारी नहीं है। भोजपुरी सुनते ही लोगों को अक्सर लगता है कि उन्हें कोई अश्लील या भद्दा गाना सुनने को मिलेगा।

मैंने अपने पति ऐश्वर्या निगम के साथ मिलकर छठ पर गाना बनाया और कई पुराने गानों को फिर से बनाया। पिछले छह महीनों से मैं सारेगामा के साथ भोजपुरी गानों पर काम कर रही हूं। आज मैं अपने खुद के गाने बनाने के साथ-साथ भोजपुरी लोकगीत और 1962 से रिलीज हुई भोजपुरी फिल्मों के क्लासिक गानों पर भी काम कर रही हूं। मेरी इस कोशिश को बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

मुझे पता है कि भोजपुरी गानों के लिए जो काम मैं कर रही हूं, उससे मैं ज्यादा पैसे नहीं कमा सकती। ये वो गाने हैं जो असल भोजपुरी हैं, जिन्हें सुनकर लोग आनंद ले सकते हैं। लेकिन एक कलाकार के तौर पर यह मेरी भी जिम्मेदारी है कि लोगों को भोजपुरी में अच्छा सुनने को मिले।

दीपाली सहाय के गए कुछ बेहतरीन भोजपुरी गीत

1 – भिखारी ठाकुर का गाना पियवा गइलें कलकतवा | Piyawa Gaile Kalkatawa | Bhojpuri Classics with ‪Deepali Sahay, Bhikhari Thakur

2 – काहे बाँसुरिया बजवले | Kahe Bansuriya Bajawle | Bhojpuri Classics with ‪Deepali Sahay

Kahe Bansuriya Bajawle Lyrics:

काहे बासुरिया बजवले की सुध बिस्रवले,
गइल सुख चैन हमार।
कटवा कांकरिया कुछ नाही देखलि
हो कुछ नाही देखलि,
खोजत खोजत तोहे इहा चली अइली।
काहे के मतिया फिरवले
की डगरी भुलवले,
गइल सुख चैन हमार।

गाओं गिरामिन मारेला बोलिया
हो मारेला बोलिया,
संग के सहेलिया करेला ठिठोलिया।
काहेके नाम धरवले
की दगिया लगवले,
गइल सुख चैन हमार।

तोरे बाँसुरिया में
गिनती के छेद बा हो
गिनती के छेद बा,
मनवा हमार पिया
छलनी भइलबा।

काहे पीरित बडवले
की अंगिया लगवले,
गइल सुख चैन हमार।
काहे बासुरिया बजवले
की सुध बिस्रवले,
गइल सुख चैन हमार।
काहे बासुरिया बजवले।

3 – निमिया के पेड़ | Nimiya Ke Ped | Bhojpuri Classics ‪Deepali Sahay

4- सावन स्पेशल | Sakhiya Sawan Bahut Suhawan | सखिया सावन बहुत सुहावन | Bhikhari Thakur | भिखारी ठाकुर

5 – Bhikhari Thakur Special | Beti Bechwa | बेटी बेचवा | Sad Song | Bhojpuri Classics with ‪Deepali Sahay‬ 

Beti Bechwa Lyrics | बेटी बेचवा 
गिरिजा-कुमार!, कर दुखवा हमार पार;
ढर-ढर ढरकत बा लोर मोर हो बाबूजी।
पढल-गुनल भूलि गइल समदल भेंड़ा भइल
सउदा बेसाहे में ठगइल हो बाबूजी।
केइ अइसन जादू कइल, पागल तोहार मति भइल
नेटी काटि के बेटी भसिअवलऽ हो बाबूजी।
रोपेया गिनाई लिहल पगहा धराई दिहल
चेरिया के छेरिया बनवल हो बाबूजी।
साफ क के आंगन-गली, छीपा-लोटा जूठ मलिके;
बनि के रहलीं माई के टहलनी हो बाबूजी।
गोबर-करसी कइला से, पियहा-छुतिहर घइला से;
कवना करनियां में चुकली हों बाबूजी।
बर खोजे चलि गइल, माल लेके घर में धइल
दादा लेखा खोजल दुलहवा हो बाबूजी।
अइसन देखवल दुख, सपना भइल सुख
सोनवां में डलल सोहागावा हो बाबूजी।
बुढऊ से सादी भइल, सुख वो सोहाग गइल
घर पर हर चलववल हो बाबूजी।
अबहूं से कर चेत, देखि के पुरान सेत डोला
काढ़, मोलवा मोलइह मत हो बाबूजी।
घूठी पर धोती, तोर, आस कइल नास मोर
पगली पर बगली भरवल हो बाबूजी।
हंसत बा लोग गॅइयां के, सूरत देखि के संइयाँ के
खाइके जहर मरि जाइब हम हो बाबूजी।
खुसी से होता बिदाई, पथल छाती कइलस माई
दूधवा पिआई बिसराई देली हो बाबूजी।
लाज सभ छोडि़ कर, दूनो हाथ जोड़ि कर
चित में के गीत हम गावत बानीं हो बाबूजी।
प्राणनाथ धइलन हाथ, कइसे के निबही अब साथ
इहे गुनि-गुनि सिर धूनत बानी हो बाबूजी।
बुद्ध बाड़न पति मोर, चढ़ल बा जवानी जोर
जरिया के अरिया से कटल हो बाबूजी।
अगुआ अभागा मुंहलागा अगुआन होके;
पूड़ी खाके छूड़ी पेसि दिहलसि हो बाबूजी।
रोबत बानी सिर धुनि, इहे छछनल सुनि;
बेटी मति बेंचक दीह केहू के हो बाबूजी।
आपन होखे तेकरो के, पूछे आवे सेकरों के
दीह मति पति दुलहिन जोग हो बाबूजी।
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