IPS उमेश कुमार चौरसिया सोनपुर के नयाटोला चौसिया गांव से निकलकर कर्नाटक के DGP बने, बिहार समेत देशभर में उनकी सफलता पर गर्व और जश्न का माहौल है.
बिहार की धरती ने एक बार फिर देश को ऐसा रत्न दिया है, जिस पर न सिर्फ सोनपुर, सारण या पटना, बल्कि पूरा राज्य गर्व कर रहा है. सोनपुर प्रखंड के भरपुरा पंचायत अंतर्गत नयाटोला चौसिया गांव में जन्मे उमेश कुमार चौरसिया को कर्नाटक राज्य का पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया है. यह उपलब्धि न केवल प्रशासनिक क्षेत्र में उनकी वर्षों की कड़ी मेहनत का प्रतिफल है, बल्कि यह हर बिहारी युवा के लिए एक प्रेरणास्रोत भी है. जो सपने तो देखता है, पर संघर्षों से घबराता है. दूरदराज़ के एक छोटे गांव से निकलकर दूसरे राज्य में पुलिस विभाग के शीर्ष पद तक पहुंचना कोई साधारण बात नहीं है.
गांव वालों की बात मानें तो उमेश कुमार चौरसिया बचपन से ही मेधावी, मृदुभाषी और अनुशासित छात्र रहे हैं. उनके पिता, स्वर्गीय राम प्रसाद भगत बिहार सरकार के सिंचाई विभाग में कार्यपालक अभियंता थे, जिनसे उन्होंने कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी की शिक्षा पाई. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) में योगदान दिया, लेकिन उनके भीतर देश सेवा की जो भावना थी, उसने उन्हें संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की कठिन परीक्षा की ओर मोड़ा. 1995 बैच के आईपीएस बनने के बाद उन्होंने जो सफर शुरू किया, वह अब देशभर में मिसाल बन गया है.
आईपीएस के रूप में उमेश कुमार चौरसिया की तैनाती कर्नाटक के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों से शुरू हुई. पेनम्बूर जैसे औद्योगिक क्षेत्र में ASP रहते हुए उन्होंने कानून व्यवस्था की बारीकियों को बखूबी संभाला. कोडागु जिले के एसपी रहते हुए उन्होंने पुलिस और जनता के बीच विश्वास की खाई को पाटने के लिए खेलों और प्रशिक्षण के कार्यक्रम शुरू किए. यही नहीं, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत कोसोवो में भी सेवा दी, जो उनकी प्रशासनिक दक्षता और अंतरराष्ट्रीय समझ को दर्शाता है. उनकी हर तैनाती ने उन्हें एक नया अनुभव और समाज को एक बेहतर प्रशासक दिया.